कब होही छत्तीसगढ़ मा सोनहा बिहान?
जागही जम्मो छत्तीसगढ़िया बेटा,
सोंच समझ के करही जब नेता,
नई चलही परदेशिया के सियानी,
पलट जही छत्तीसगढ़ के कहानी,
सबो नँघरिया दुलरवा मा होही गियान।
तब होही छत्तीसगढ़ मा सोनहा बिहान।
पुस्तक संग मा संस्कृति ला पढ़ही,
अपन रद्दा ला जब अपने हा गढ़ही,
अपनेच बोली भाखा ला समझही,
सबो संगी छत्तीसगढ़ी मा गरजही,
छत्तीसगढ़ी बोले मा नई परही जियान।
तब होही छत्तीसगढ़ मा सोनहा बिहान।
सुनता के रद्दा मा जुरमिल चलही,
भ्रष्टाचार के तभे बदरा हा टलही,
बेटी नारी के करही सब हियाव,
सब बर होही जब बरोबर नियाव,
परोसी के परोसी हा बनजाही मितान।
तब होही छत्तीसगढ़ मा सोनहा बिहान।
रचना- श्रवण साहू
गांव - बरगा,जि.-बेमेतरा
मोबा.+918085104647
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