।।महतारी के बोली भाखा।।
....मोर छत्तीसगढ़ीन दाई के
मीठ मंदरस कस बोली हे....²
हरियर ईंहा धनहा डोली हे,
भरे नरवा तरिया बौली हे,
रोज तिहार जस होली हे,
अऊ गीत गावत कोयली हे,
मोर छत्तीसगढ़ीन दाई...
जिंहा पनिहारिन के टोली हे,
नारी परानि बड़ भोली हे,
करे हांसी अउ ठिठोली हे,
फेर झार बंदुक कस गोली हे
मोर छत्तीसगढ़ीन दाई...
भले नान नान ईंहा खोली हे,
फेर बसे बम्लाई माँ मौली हे,
जेन भरे सबके झोली हे,
माटी हा जिंहा के रोली हे,
मोर छत्तीसगढ़ीन दाई...
*********************
***जय छत्तीसगढ़ महतारी***
*********************
रचना- श्रवण साहू
गांव-बरगा जि-बेमेतरा (छ.ग.)
मोबा.- +918085104647
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें