मंगलवार, 30 जून 2015

छत्तीसगढ़िया के गोहार

👏 गोहार 👏

अंतस हा हमर रो रो के
पारत हे तोला गोहार,
छत्तीसगढ़िया के विनती घलो
सुनले गा मोर सरकार,
परदेशी बाबू ला राज देके
झन कर अत्याचार,
हमला तो अईसने पेरत हे
ये महँगाई के मार,
एके झन तो हावस तैहा
गरीब के देखवार,
झन बन छत्तीसगढ़िया के बैरी
हमन हो जबो दूसवार,
परदेशी ला जादा दरजा देके
झन कर तै भ्रष्टाचार,
झन रोवा तै हम गरीब ला
मात जही हाहाकार,
आगी के दरिया ये हमर आँसू
जला दिही संसार,
अपन कहानी ला बतावत हन
सुनले मोर पुकार,
भले लागत होही ये तोला
छत्तीसगढ़िया के ललकार

✏श्रवण छत्तीसगढ़िया
गांव-बरगा थानखम्हरिया(छ. ग.)
मोबा. 8085104647

मोर गाँव के हाट

🌷मोर गँवई के हाट🌷

शहर शहर नगर घुम ले,
जिला घुम ले हजार!
नई मिलय मोर गाँव  कस
अईसन परसिध बजार

ले ले चाहे चना फुटेना,
अऊ सोनहा के हार,
अईसन हावय संगी,
मोर गाँव के बजार,

ले ले चाहे छेरी कुकरी,
अऊ दुधियारीन बगार,
अईसन हावय संगी,
मोर गाँव के बजार!!

ले ले चाहे मेवा मिठई
अऊ रसगुल्ला रसदार,
अईसन हावय संगी,
मोर गाँव के बजार!!

ले ले चाहे मिठा सुपारी,
अउ पान के घलो भण्डार,
अईसन हावय संगी,
मोर गाँव के बजार!!

ले ले चाहे तोरई करेला,
अऊ मुनगा गुदार,
अईसन हावय संगी,
मोर गाँव के बजार!!

ले ले चाहे कलमी आमा,
अउ गरती रसधार,
अईसन हावय संगी,
मोर गाँव के बजार!!

संझा के बेरा मा लागथे,
दिन के गा सम्मार,
अईसन हावय संगी,
मोर गाँव के बजार!!

      ✏श्रवण साहू
   गांव-बरगा बेमेतरा (छ.ग.)
   मोबा. +918085104647

अब के जमाना

  आज के जमाना

अईसन जमाना आगे रे भईया,
पानी हा पईसा मा बेचाय,
गऊ माता ला परिया मा छोड़य
अऊ कुकुर ला संग खेलाय..

कमावत हे पईसा भारी,
जेन हा मारे झूठ लबारी,
सत के रस्ता मा जेन चलय,
भुखन ओकर बेटा, नारी,

कलयुग अईसन छागे रे भईया
छल कपटी के जेब भराय
अईसन जमाना आगे रे भईया,
पानी हा पईसा बेचाय....

दान धरम मा सत मानुष के,
कोठी हा होगे ऊन्ना,
कईसे मा चलही जिनगानी,
ईही बात के होगे गुन्ना ,

सुख के दिन भागे रे भईया,
सबके हिरदय मा पाप समाय
अईसन जमाना आगे रे भईया,
पानी हा पईसा मा बेचाय,

ईमान घलो हा अब,
रिसवत मा खरीदागे,
मार दे जात हे निर्दोषी अऊ,
अपराधी मन हरियागे,

पापी के जमाना जागे रे भईया
साधु संत जेल भराय
अईसन जमाना आगे रे भईया,
पानी हा पईसा मा बेचाय!
    
      ✏श्रवण साहू
   गांव-बरगा थानखम्हरिया(छ.ग.)
   मोबा. +918085104647

महँगई के मार

बड़ दिन के बाद मा मोर मितान हा हमर घर अईस गा ता आजकल के मितान ताय गा कहिथे कांही इंतजाम नि करे हस का मितान कहिस गा....  ताहन ले मेहा माथा ला धरलेंव गा अऊ कहेंव..

दुनिया के महँगई ला कइसे हम झेलबो गा मितान..
गरीबी के हाल मा ये दिन ला कईसे पेलबो गा मितान!

सपना होगे हे दार भात हा चटनी मा दिन पहावत हन मितान...
पानी अऊ पसिया भर ला पिके मन ला मढ़ावत हन मितान!

अब तो जिनगी हा पहार होगे कईसे जिनगी ला पहाबो गा मितान..
जिना हा दूसवार होगे कईसे लईका ला बने पढ़ाबो गा मितान!

काबर हमि मन पेरावत हन महँगई के चक्की मा मितान..
अइसन दिन मा घलो कतको ला पहुँचा जहूँ भट्ठी मा मितान!

तोर बर कंहू आज बिसा लेहूँ दारू अऊ कूकरा.
ताहन तीन दिन रहि मोर लईका हा भूखा अऊ उघरा!

तोर गोड़ ला धोके मै करत हौव अर्जी गा मितान..
माफ करबे मोला,  नई पूरा कर सकेंव तोर मर्जी गा मितान!

    श्रवण छत्तीसगढ़िया
ग्राम-बरगा, थानखम्हरिया(छ. ग. )
मोबा. +918085104647

छत्तीसगढ़िया के हाल

       💐बिडम्बना💐

कईसन हाल होगे संगी छत्तीसगढ़ के,
कईसन हाल होगे न

छत्तीसगढ़ सरकार काहत हे,
छत्तीसगढ़ मा अढ़हा मनखे के हे बासा
बहिर ले गुरूजी लाबो, होगे बुद्धि के नासा

ईंहा के गुरूजी मन हे बड़ा कमजोर,
बाहिर के गुरूजी मन रही बड़ा सजोर,

ईही सब बात मा बवाल होगे न, 
हमर छत्तीसगढ़ के अईसन हाल होगे न...

मै कहिथव..

कोन नई जानय मोर छत्तीसगढ़ के इतिहास ला,
बड़े बड़े ऋषि मुनि के सुघ्घर रहिवास ला,

देवता मन घलो ईंहा अवतार धरके आये हे,
छत्तीसगढ़ के मनखे ला अतेक ग्यान बताये हे,

तभो ले का छत्तीसगढ़ हा बुध्दि बर कंगाल होगे गा
हमर छत्तीसगढ़ के अईसन हाल होगे न..

खोजबे तब मिलही गा हमर राज के हीरा हा,
काबर बिना खोजे तो मिलय नही बारी के खीरा हा,

बाहिर कांहा खोजबे दाऊ ईंहे पाबे  बड़े ग्यानी ला,
पईसा के लालच मा काबर लाबे बाहिर के अग्यानी ला,

हमर छत्तीसगढ़िया दुलरवा के जंजाल होगे न.
हमर छत्तीसगढ़ के अईसन हाल होगे न..

का हमला सिखाही वोहा हमर भुईयां के संस्कृति ला,
छत्तीसगढ़िया ले बढ़िया कोन जानही माटी के प्रकृति ला

पाश्चात्य सभ्यता ला बता के भुलवार देहि हमर सभ्यता ला,
पर्यावरण के नाश करवाके तोड़वा देही हमर रम्यता ला,

अपने कस लड़े बर सिखोही, संगी ला मितान संग मा
सबो झन रंग जाबो हमन, बाहिर के गुरूजी के रंग मा

ये बात ला सोंच के मोर बारा हाल होगे न
हमर छत्तीसगढ़ के अईसन हाल होगे न..

जेन नई जानय हमर भुईयां के पीरा वो गुरूजी के का काम,
मोर छत्तीसगढ़ के ग्यानी शिक्षक तोला करव सलाम,

कर्तव्य ला सिरिफ निभाये बर परही तब बन जाही बात,
कर्तव्य करईया ला घलो कुछू चाही वोखरो हे फरयाद,

बिन पानी दे तो फुल हा नइ खिलय हो जाही दूसवार,
बिना खोय डोंगा हा घलो डूब जथे बीच मझधार,

ईही बात के अनजान मा ये हाल होगे न..
हमर छत्तीसगढ़ महतारी के कईसन हाल होगे न..

   ✏श्रवण कुमार साहू
   गांव- बरगा, बेमेतरा(छ. ग.)
   मोबा. +918085104647

रविवार, 28 जून 2015

दगाबाजी

काबर दगा मा डारे मोला,  अईसन का बात होगे?
काबर दगा मा राखे मोला,
अईसन का बात होगे?

सौहत रहे परान मोर तै, 
काबर बिसार देस मोला
मोर सपना ला टोर के,
तरसा डरे मोर चोला,

अब तो मोर बैरी, दिन अऊ रात होगे...
काबर दगा मा राखे मोला,
अईसन का बात होगे?

मया के रस्ता मा चलत रहेन हाथ मा हाथ मिलाके,
मोर ले पहली काबर चल देस,
पहली पाँव मड़ाके,

अब तो मोर दू नयना ले, आँसु के बरसात होगे..
काबर दगा मा डारे मोला,
अईसन का बात होगे?

मोर मन मस्तिक मा बसके,
संग रहे के सपना देखाऐ
फेर काबर दुनिया ला डरके,
मोर ले तैहा दूरिहाए.

कईसे दिन गुजारव मेहा, 
दूख पिरा मोर साथ होगे..
काबर दगा मा डारे मोला, अईसन का बात होगे?

बने लागिस जान के मोला
जी लेबे तैं मोर बिन,
मोर जिनगी के बुड़गे नैया
बल्कि अब तो तोर बिन,

मोर बिना तोर चैन से रहना,
बता कईसे असान होगे,
काबर दगा मा डारे मोला, अईसन का बात होगे?

          ✏श्रवण साहू (छत्तीसगढ़िया)

जय होवय तोर नेट

📱नेट📱

मोबाईल के जमाना हे,
चलत हे भारी नेट!
एकर चक्कर मा भात घलो,
नइ खवावय भर पेट!
आठोकाल बारो महीना,
आषाण सावन जेठ!
उठत बईठत रेंगत दउड़त,
घंसत घंसत कोलगेट!
नई छोड़न मोबाइल ला,
भले डिपटी मा हो जय लेट!
सब झन लगे हे मोबाईल मा,
गरीब होवय चाहे सेठ!
डोकरा बबा घलो हाथ उठाके,
खोजथे मोबाईल मा नेट!
कभू चढंहत हे अटरिया ता,
कभू चढ़हत हे गेट!
एकर चक्कर मा ले बर पडगे,
मँहगा वाला हेंडसेट!
कतेक गुन ला गावंव गा,
बनगेहे मनखे के गिरनेट!
जय हो तोर नेट!
जय हो तोर नेट!
जय हो तोर नेट!

   ✏श्रवण साहू
गांव-बरगा बेमेतरा (छ.ग.)

शनिवार, 27 जून 2015

देंह

जिनगानी

   .....जिनगानी.....

कांही नईहे जिनगानी मा बईहा देखले अन्तस ला तेंहा निहार के,

सबो जीव के खुन हा लालेच हे,
भले रहय वोहा कशमीर या बिहार के,

रूढ़ी वादी ला छोड़बो  अऊ जिनगी चलाबो,
जम्मो भेदभाव ला निमार के,

बहूत काँटा हे जिनगी के रद्दा मा,
हमन चलबो गा बने निहार के,

कभु गड़गे काँटा तभो, पाव रोकन नही गा,
हमन बढ़ते रहिबो गढ़े कांटा निकार के,

मन मा ठान लेथन अब तो,  खुब
सेवा करबो दुखिया अऊ बिमार के,

नई होवन झगरा अब कखरो संग,
चलव धरबो बात ला सियान के,

नवा सुरुज उगत हे रोजे कुन, मन मा चलव शुरूवात करबो,
धरम के नवा बिहान के,

चलव मया के गोठ गोठियाबो संगवारी,
अपन जम्मो दुख ला बिसार के,

✏ श्रवण साहू ( छत्तीसगढ़िया )
गांव-बरगा बेमेतरा (छत्तीसगढ़)

काश ऐसा होता कविता by shravan sahu

     काश एेसा होता!
हिन्दू रोते तो मुस्लिम रोता,
मुस्लिम रोते,हिन्दू रोता,
     काश एेसा होता!

  मिट जाते सब भेदभाव,
पूरी दूनिया परिवार होता,
सब धर्म साथ पूजे जाते
सब मजहब स्वीकार होता,
     काश ऐसा होता!!!

जरूरत न पड़ती अधिकारियों की,
सब जनता का अधिकार होता,
  कब, क्यों, कैसे, क्या, करें
  साथ-साथ विचार होता,
       काश ऐसा होता!

मिट जाती बीच की दूरिंया,
हिन्दू मुस्लिम भाई होता,
दोनो को भाई कहने वाला,
सिक्ख,ईसाईं भी तो होता,
      काश ऐसा होता!

लगती दुनियां फिर से नई,
   यहाँ नया सवेरा होता,
सोने की चिड़िया भारत माँ,
पूरी दूनिया का बसेरा होता,
       काश ऐसा होता!!!

संग मुस्कराते नजर आते,
कोई यहाँ न अकेला रोता,
साथ कदम रखते हम सब,
    मंजिल भी एक होता,
      काश ऐसा होता!

  न कोई जिन्दाबाद और,
न किसी का मुर्दाबाद होता,
स्वर्ग जैसे इस धरती माँ में,
    हर एक आबाद होता,
       काश ऐसा होता!

     रचना-श्रवण साहू
गांव-बरगा जि.-बेमेतरा(छ.ग.)
  मोबा.-+918085104647

बरखा देवी

      बरखा देवी

झुमरत आगे बरखा देवी, 
बतावत हे जागव गा किसान! 
माटी दाई के सेवा बजावव, 
लावव गा नवा बिहान!!

छो छो बईला ला हांक पारत, 
खांद मा बोहे नांगर! 
तुतारी घलो ला धरलव, 
संग मा रोटी अंगाकर!!

मुड़ मा पागा घलो बांधे, 
चलव जाबो रे नगरिहा! 
बने भिनसरहा ले जाबो, 
जल्दी पूरोबो हरिया!!

लहर लहर लहलाही गा, 
तबतो धनहा डोली! 
मन नाचे बर धरथे सुनके, 
हर्रो हट छव के बोली! 

माफी करहू भईया हो फेर मोला पूरखा के एकठोक बात सुरता आगे गा मेहा काखरो हिनमान नि करत हव फेर पूरखा मन काहय..

उत्तम खेती मध्यम बईपार, 
नीच नवकरी भीख बेकार! 
सुनके गुनव नगरिया हो, 
धरती दाई के करव जयकार! 

    ✏श्रवण साहू 
   गांव-बरगा बेमेतरा (छ.ग.)

वर्षा ऋतु

मोर परिचय

मै छत्तीसगढ़ के माटी सुरूप श्रवण साहू अपन परिचय पंक्ति के माध्यम ले देहे के प्रयास करत हव त्रुटि बर क्षमा चाहत हव...

मैं छत्तीसगढ़ के माटी अव
                      मै छत्तीसगढ़ के माटी,
पढ़े लिखेबर निचट अढ़हा,
                      फेशन मा मै देहाती अव,
                      मै छत्तीसगढ़ के माटी...
पिता के नाव श्री रामेश्वर मोरे,
                      श्रवण मोर हे गा नांव,
बेमेतरा जिला के साजा तीर मा,
                      हावय मोर बरगा गांव,
छत्तीसगढ़िया मै हरव अऊ,
                      तेली के मै जाती अंव,
                      मै छत्तीसगढ़ के माटी...
गरीब घर के किसनहा बेटा,
                        माटी के सेवा बजाथव,
दूसर के घर बनी भूती करथव,
                    मोबाइल घलाको बनाथव,
कोनो नईहे मोर बैरी दूसमन,
                      सब झनके मै साथी अव,
                   मै छत्तीसगढ़ के माटी....
रामायण, भागवत अऊ नाच मा,
                        तबला घलो बजाथव,
येकर भरोसा मै संगवारी,
                       सत्संगत ला पा जाथव,
बने लगथे मोला साधु के संगत,
                       धरम गरंथ के साथी अंव,
                        मै छत्तीसगढ़ के माटी....

      !! जय जोहार!! जय छत्तीसगढ़!!