मैं कोन ला बतांव, मैं कोन डाहर जांव।
जबले परे हे भुईयां मा भ्रष्टाचार के पांव।
हार खागे मनखे, अऊ लुटगे गांव-गांव।
मैं कोन ला बतांव.......
सिधवा गरूवा मनखे के,नईहे गा ईंहा ठांव,
तपय घाम मा बपरा,कपटी रेंगे छांव-छांव।
मैं कोन ला बतांव......
जेन हमर रखवाला हे उही हा देवय घाव,
हमरे पोंसे शेरू करे हमरे बर हांव-हांव।
मैं कोन ला बतांव......
अऊ कतेक होही जी दुनिया मा अनियाव,
सपटत फिरत हे धर्मी,शकुनी के चलय दांव।
मैं कोन ला बतांव......
जान लौ पहिचान लौ ,मन मा बिचार लाव,
मान लौ ठान लौ अऊ सरि दुनिया ला जगाव।
मान लौ ठान लौ अऊ.....
रचना- श्रवण साहू
गांव - बरगा जि.-बेमेतरा (छ.ग.)
मोबा.- +918085104647
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