चश्मा के करिश्मा
मजबूरी मा कोनो ता कोनो छाय बर
कोनो देखे बर,अऊ कोनो देखाय बर
लगाये हे चश्मा !!!
करिया काखरो ता कखरो सफेद
कति ला देखत हे पाबे कईसे भेद
कोनो दिल के बात ला लुकाय बर
लगाये हे चश्मा !!!
काखरो सस्ता काखरो हा माहंगा
काखरो हा निक ता काखरो भड़ंगा
कोनो अपन औकात ला बताय बर
लगाये हे चश्मा !!!
का बुड़हा,का लईका अऊ का जवान
चश्मा पहिरे हे गरीब अऊ का धनवान
कोनो आँखी ला कचरा ले बचाय बर
लगाये हे चश्मा !!!
अद्भुत हे संगवारी सुन चश्मा के कहानी
लागय हे सब चश्मा कारन आनी बानी
फेर 'श्रवण' नयन के पानी छुपाय बर
लगाय हे चश्मा !!!
रचना- श्रवण साहू
ग्रा.-बरगा,जि.-बेमेतरा (छ.ग.)
मोबा.- +918085104647
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