ये कैसी मजबूरी....
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मैं लायक नही सनम संग मेरा छोड़
"वो रो कर बोली मैं मजबूर हूँ"
ये प्रेम विचित्र रोग है,रिश्ता न जोड़
"वो रो कर बोली मैं मजबूर हूँ"
हर पल दुख मिलेंगे नाता अब तोड़
"वो रो कर बोली मैं मजबूर हूँ"
चंद रोज बाद...
अश्रु बह गया मेरा, जब मैनें बोला..
रह नही सकता बिन तेरे,मुंह न मोड़
"वो रो कर बोली मैं मजबूर हूँ"
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रचना-श्रवण साहू
गांव-बरगा जि.- बेमेतरा (छ.ग.)
मोबा.- +918085104647
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