मै छत्तीसगढ़ के माटी सुरूप श्रवण साहू अपन परिचय पंक्ति के माध्यम ले देहे के प्रयास करत हव त्रुटि बर क्षमा चाहत हव...
मैं छत्तीसगढ़ के माटी अव
मै छत्तीसगढ़ के माटी,
पढ़े लिखेबर निचट अढ़हा,
फेशन मा मै देहाती अव,
मै छत्तीसगढ़ के माटी...
पिता के नाव श्री रामेश्वर मोरे,
श्रवण मोर हे गा नांव,
बेमेतरा जिला के साजा तीर मा,
हावय मोर बरगा गांव,
छत्तीसगढ़िया मै हरव अऊ,
तेली के मै जाती अंव,
मै छत्तीसगढ़ के माटी...
गरीब घर के किसनहा बेटा,
माटी के सेवा बजाथव,
दूसर के घर बनी भूती करथव,
मोबाइल घलाको बनाथव,
कोनो नईहे मोर बैरी दूसमन,
सब झनके मै साथी अव,
मै छत्तीसगढ़ के माटी....
रामायण, भागवत अऊ नाच मा,
तबला घलो बजाथव,
येकर भरोसा मै संगवारी,
सत्संगत ला पा जाथव,
बने लगथे मोला साधु के संगत,
धरम गरंथ के साथी अंव,
मै छत्तीसगढ़ के माटी....
!! जय जोहार!! जय छत्तीसगढ़!!
वाह गजब ग
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